कुरुक्षेत्र की जाट धर्मशाला
धर्म नगरी के पवित्र ब्रहम सरोवर के निकट स्थित एक वास्तुकला की अनुपम कृति है. इस
के 108 फुट ऊँचे गुम्बद से धर्म नगरी की मनोरम झांकी
दिखाई देती है. यह एक ऐसा स्थान है जहाँ किसी यात्री की जाती अथवा धर्म नहीं पूछा
जाता. यहाँ सब के लिए समानता का भाव रखा जाता है. उत्तर भारत की सबसे बड़ी धरमशाला
होने का गोरव भी इसे प्राप्त है. यहाँ पर 400 कमरे जिनमे वी आई पी से लेकर साधारण तक सभी प्रकार
की सुविधा उपलब्ध है. निशुल्क खुले हाल भी यात्रियों के लिए हर वक्त उपलब्ध रहते
हैं. यह धर्म शाला अपने आप में एक संग्रहालय भी है जो विभिन विशेस्तायें समेटे है.
यहाँ का भंडारा भवन व अटूट भंडारा प्रतिदिन हजारों लोगों के पेट की आग को शांत करता है. इसके लिए हर फसली सीज़न में प्रदेश के जाट बिरादरी के लोग इतना अन्न देते हैं कि भंडारे के अलावा उसे बेच कर धर्मशाला के विकास पर खर्च किया जाता है.
यहाँ प्रति वर्ष बसंत पंचमी के दिन दीन बंधू सर छोटूराम जी कि जयंती व धर्मशाला का वार्षिकोत्सव मनाया जाता है जिसमे हजारों कि संख्या में जाट बिरादरी के लोग मेले के रूप में पहुँचते हैं...आइये आप और हम सब मिल कर इस राष्ट्र गोरव के विकास में हाथ बंटाएं.
यहाँ का भंडारा भवन व अटूट भंडारा प्रतिदिन हजारों लोगों के पेट की आग को शांत करता है. इसके लिए हर फसली सीज़न में प्रदेश के जाट बिरादरी के लोग इतना अन्न देते हैं कि भंडारे के अलावा उसे बेच कर धर्मशाला के विकास पर खर्च किया जाता है.
यहाँ प्रति वर्ष बसंत पंचमी के दिन दीन बंधू सर छोटूराम जी कि जयंती व धर्मशाला का वार्षिकोत्सव मनाया जाता है जिसमे हजारों कि संख्या में जाट बिरादरी के लोग मेले के रूप में पहुँचते हैं...आइये आप और हम सब मिल कर इस राष्ट्र गोरव के विकास में हाथ बंटाएं.
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